हमारी बॉडी में ब्लड कैसे बनता है/(haematopoiesis) और बॉडी में ब्लड कैसे काम करता है??
इसके बारे में जाने के लिए पहले हमें ब्लड(blood) को समझना पड़ेगा। ब्लड हमारी बॉडी का इम्पोर्टेन्ट फ्लुड(fluid) होता है जो बॉडी प्रत्येक भाग में प्रेजेंट रहता है। ब्लड एक प्रकार का कनेक्टिव टिश्यू(connective tissue) होता है जो लिक्विड फॉर्म(liquid form) में रहता है।
blood formation /haematopoiesis image |
यह एक ऐसा वाइटल फ्लूइड(vital fluid) है जिस पर सभी जीवो का जीवन निर्भर करता है। बॉडी के सभी कामो के लिए ब्लड बहुत ही जरुरी होता है। सामान्य रूप से हमारा ब्लड अपारदर्शी होता है और स्वाद में नमकीन होता है। ब्लड हल्का एल्कलाइन नेचर का होता है क्योंकि ब्लड का PH लगभग 7.35 से 7.45 के बीच में रहता है।
मुख्य रूप से ब्लड हमारी बॉडी की बोन्स(bones) के बोन मेरो(bone marrow) में बनता है इसके अलावा बचे के जन्म के पहले मतलब भ्रूण अवस्था में ब्लड प्लीहा(spleen) और किडनी(kidney) में भी बनता है। बोन(bone) की बोनमैरो(bone marrow) में एक विशेष प्रकार की सेल्स(cells) होती है।
जिन्हे स्टेम सेल्स(stem cells) कहा जाता है। यह स्टेम सेल्स(stem cells) हमारी की सभी प्रकार की सेल्स(cells) को बनाती है साथ ही हमारे ब्लड(blood) की ब्लड सेल्स(blood cells) को भी बनाती है।
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हमारा ब्लड(blood) किन किन चीजों से मिलकर बनता है ???
हमारी बॉडी(body) में ब्लड(blood) कैसे बनता है मनुष्यो का ब्लड(blood) पानी से पांच गुना ज्यादा चिपचिपा होता है और ब्लड(blood) हमरे सम्पूर्ण शरीर का लगभग 6-10 प्रतिशत भाग बनाता है।
हमारी पूरे शरीर(body) में औसतन 5.8 लीटर तक ब्लड(blood) पाया जाता है जो मुख्य तौर पे दो चीजों से मिलकर बनता है -
1.प्लाज्मा (plasma)
प्लाज्मा(plasma) एक प्रकार का निर्जीव द्रव्य होता है जो हलके पीले रंग का दिखाई देता है। यह हल्का एल्कलाइन नेचर(alkline nature) का और चिपचिपा होता है। प्लाज्मा(plasma) हमारे पूरे ब्लड(blood) का लगभग 55-60 प्रतिशत भाग बनाता है। प्लाज्मा(plasma) में 90- से 92 % पानी , 1से 2% अकार्बनिक लवण(inorgnic salts) , 6 से 7% प्लाज्मा प्रोटीन(plasma protein) और 1 से 2 प्रतिशत अन्य कार्बनिक तत्व पाए जाते है।
2.ब्लड सेल्स (blood cells)
ये सेल्स (cells) प्लाज्मा(plasma) में पायी जाती है जो हमारे संपुर्ण ब्लड(blood) का लगभग 40 से 45 प्रतिशत भाग बनाती है। ये ब्लड सेल्स (blood cells)प्लाज्मा(plasma) में तैरती रहती है और उसी के साथ पूरी बॉडी(body) में घूमती रहती है।
ब्लड सेल्स(blood cells) मुख्य रूप से निम्न तीन प्रकार की होती है -
मानव शरीर में रक्त(blood) कहाँ शुद्ध होता है?
ब्लड(blood) का फिल्ट्रेशन(filtration) मतलब ब्लड(blood) से हानिकारक तत्वों को निकलने का काम हमारी किडनी(kidney) करती है। परन्तु यह फ़िल्टर(filter) हुआ ब्लड(blood) भी शुध्द (pure)नहीं होता है क्योकि इसमें टिश्यू(tissue) की सेल्स(cells) द्वारा ऑक्सीजन को प्रोसेस करने के बाद बनी कार्बन डाई ऑक्साइड(co2) छोड़ दी जाती है।
blood purification and gases exchange |
ब्लड का शुद्धिकरण हमारे फेफड़ों(lungs) में होता है। जब पूरी बॉडी से अशुद ब्लड(inpure) शिराओ(veins) से होते हुए हार्ट(heart) में पहुँचता है। फिर हार्ट (heart)से यह ब्लड पल्मोनरी धमनियों(pulmonary arteries) से होते हुए लंग्स(lungs) तक पहुँचता है। हमारे सम्पूर्ण शरीर में केवल पल्मोनरी धमनिया(pulmonary veins ) ही अशुद्ध ब्लड को ले जाने का काम करती है।
लंग्स(lungs) में पहुंचने के बाद ब्लड(blood) में से कार्बन डाई ऑक्साइड को निकालकर उसमे फ्रेश ऑक्सीजन डाली जाती है।
मनुष्य के शरीर में ब्लड कितना होता है?
मनुष्यो के शरीर में औसतन 5.8 लीटर ब्लड(blood) होता है। ब्लड का यह वॉल्यूम घटता बढ़ता रहता है। एक स्वस्थ वयस्क पुरुष में लगभग 5 से 6 लीटर तक ब्लड होता है। जबकि एक स्वस्थ वयस्क महिला में 4 से 5 लीटर तक ब्लड पाया जाता है।
पुरुषो(males) की अपेक्षा महिलाओ(females) में कम ब्लड होता है साथ ही उनमे रेड ब्लड सेल्स(RBCs) और हीमोग्लोबिन(hemoglobin) भी कम मात्रा में पाए जाते है। सभी मनुष्यो में ब्लड की मात्रा अलग अलग होती है। हमारी बॉडी(body) के वजन के हिसाब से भी ब्लड कम या ज्यादा हो सकता है। हमारे शरीर के कुल वजन का 6 से 10 प्रतिशत भाग ब्लड होता है।
ब्लड(blood) हमारी बॉडी सबसे महत्वपूर्ण तरल(liquid) होता है जो अंगो के बीच में जाकर उनको आवश्यक पोषक तत्व(nutrient) उपलब्ध कराता है। एक शोध के हिसाब से ऊंचे स्थानों या जगहों पर रहने वाले लोगो में नार्मल(normal) लोगो की तुलना में ज्यादा ब्लड होता है क्योकि उँची जगहों पर रहने वाले लोगो को ऑक्सीजन की ज्यादा जरुरत होती है।
पॉलीसाइथेमिया(polycythemia) क्या है और इसमें क्या होता है ?
हमारे ब्लड में तीन प्रकार की ब्लड सेल्स(RBCs) आरबीसी , WBC और प्लेटलेट्स(platlets) पायी जाती है। इन सभी सेल्स का वॉल्यूम(volum) एक स्वस्थ व्यक्ति में निश्चित होती है ठीक इसी प्रकार से आरबीसी सेल्स की मात्रा भी निश्चित होती है। हमारे ब्लड में आरबीसी(RBCs) की नार्मल संख्या 4 से 6 million per cubic millimeter तक होती है।
polycythemia effect |
परन्तु किसी बीमारी या अन्य किसी कारण से आरबीसी की संख्या ब्लड में नार्मल से ज्यादा होने लगती है तो उस कंडीशन को पॉलीसाइथेमिया कहते है। इसका मतलब होता है की ब्लड में आरबीसी की संख्या नार्मल से ज्यादा हो जाना इसके बहुत से कारण होते है जो कुछ इस प्रकार से है
- अबनॉर्मल बोनमैरो फंक्शनिंग ( abnormal bonemarrow functioning)
- क्रोनिक या एक्यूट पल्मोनरी डिजीज ( chronic/acute pulmonary disease)
- जीन से सम्बंधित बीमारी (genetic disease)
- लिवर या किडनी कैंसर ( liver/ kidney cancer)
- कुशिंस सिंड्रोम नामक बीमारी (cushing syndrome disease)
- लम्बे टाइम तक स्मोकिंग करना ( long time smoking)
शरीर का कौन सा अंग खून को साफ करता है?
शरीर का कौन सा अंग खून को साफ करता है? ब्लड शरीर की हर कोशिका(vells) और ऊतक(tissue) को ओक्सिजन और अन्य दूसरे आवश्यक जरूरी पोषक तत्व(nutrients) उपलब्ध कराता हैं। कोशिकाओं (cells)द्वारा इन पोषक तत्वों(nutrients) का उपयोग कर लिया जाता हैं और मेटाबोलिज्म(metabolism) की क्रिया द्वारा सेल शरीर के लिए आवश्यक पदार्थो का निर्माण किया जाता है।
इस प्रक्रिया में कुछ व्यर्थ पदार्थ जैसे अमोनिया(amonia) यूरिआ(uria) , यूरिक एसिड (uric acid) आदि भी बनते है। जो हमारी बॉडी के लिए हानिकारक होते हैं। जिन्हे शरीर से बाहर निकलना जरूरी होता है। ये व्यर्थ पदार्थ कोशिका द्वारा ब्लड (blood)में छोड़ दिए जाते हैं और जब ये ब्लड शरीर में परिसंचरित होते हुए किडनी(kidney) में पहुँचता हैं।
किडनी(kidney) में कई सारी फिल्ट्रेशन यूनिट(filtration units) पायी जाती है जिसे ग्लोमेरुलस(glomerulas) कहते हैं। ग्लोमेरुलस(glomerulas) धमनी पतले गुच्छे के रूप में पायी जाती हैं। जब ब्लड ग्लोमेरुलस में पहुँचता हैं तो इसका प्रेशर(pressure) बड़ जाता हैं तथा इन पतले धमनियो (capillary) में कई सरे माइक्रो छिद्र(micropore) पाए जाते है।
इन छिद्रो से होकर व्यर्थ पदार्थ यूरिन(urine) के साथ बाहर निकल जाते है परन्तु ब्लड कोशिकाएं (blood cells) नहीं निकल पाती है। इस प्रकार ब्लड(blood) किडनी(kidney) द्वारा फ़िल्टर(filter) होकर बापस ब्लड में पहुंच जाता हैं और शरीर में संचारित होता रहता हैं।
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