ऊतक क्या है ऊतक के प्रकार - tissue kitne prakar ke hote hain


ऊतक क्या है ऊतक के प्रकार  पोस्ट में हमने ऊतक के बारे में सभी जानकारी उपलब्ध कराई है। ऊतक हमारे शरीर का एक अत्यंत महत्वपूर्ण हिस्सा होते है कोशिका के बाद शरीर के निर्माण और संचालन में ऊतकों की एक महत्वपूर्ण भूमिका होती है। चलिए जानते है ऊतक के बारे में ।

ऊतक क्या होते है?

जैसा की हम जानते है। की हमारे शरीर की मूलभूत (बेसिक) इकाई कोशिका होती है ओर इन्ही कोशिकाओं से मिलकर ऊतक का निर्माण होता है। ऊतक कई कोशिकाओं के समूह से मिलकर बने होते है जिनकी रचना, कार्य और उत्पत्ति समान होती है। प्रत्येक ऊतक का अपना एक निश्चित कार्य होता है। इनका अध्ययन हिस्टोलॉजी के अंतर्गत किया जाता है।
बहुत से ऊतक मिलकर एक अंग का निर्माण करते है जैसे liver, kidney, brain, stomach आदि और प्रतेयक अंग (organ) का अपना एक विशिष्ट काम होता है। और ऐसे बहुत से अंगो से ही मिलकर मानव शरीर बनता है। ऊतकों के अध्ययन को हिस्टोलॉजी कहते है।

ऊतक कितने प्रकार के होते हैं? 

जंतु ऊतक या animal tissue 4 प्रकार के होते है:-

 इपीथीलियल ऊतक (Epithelial tissue)
2  संयोजी ऊतक  (Connective tissue)
3  पेशीय ऊतक  (Muscular tissue)
4  तन्त्रिका ऊतक (Nervous tissue)


  इपीथीलियल ऊतक (Epithelial tissue)

इपीथीलियल ऊतक (Epithelial tissue) वह tissue होते है जो शरीर की surface पर पाए जाते है। जैसे स्कीन और कैविटी वाले  अंगो आमाशय , गर्भाशय ,गुहाओ,रक्त वाहिकाओं के अंदर की सतह पर पाए जाते है। 
इस प्रकार के ऊतकों में आधारकाल (बेसमेंट मैंब्रेन ) होती है। जिन पर कोशिकाएं जमी होती है।ये टिश्यू विभिन्न कोशिकाओं से मिलकर बनते है। 
इपीथीलियल ऊतक (Epithelial tissue) ,रक्षा (protection), अवशोषण(absorption), स्त्राव (secretion), उत्सर्जन (excretion) आदि कार्य करते है।

इपीथीलियल ऊतक, कोशिका के आकार और परतों के अनुसार मुख्य 2 प्रकार के होते है:-

(A) सरल उपकला ऊतक (simple Epithelium Tissue
  1. शल्की उपकला (Squamous Epithelium)
  2. घनाकार उपकला (Cuboidal Epithelium)
  3. स्तंभाकार उपकला Columnar Epithelium)
  4. रोमक उपकला  (Ciliated Epithelium)
  5. ग्रंथिल उपकला (Glandular Epithelium)

(B) मिश्रित उपकला ऊतक (Compound Epithelium Tissue)
  1. अंतरवर्ती (Transitional Epithelium)
  2. श्रंगी स्तरित शल्की उपकला (Stratified Squamous cornified Epithelium)
  3. श्रंगी स्तरित शल्की उपकला  (Stratified Squamous non-cornified Epithelium)
  4. स्तरित स्तंभाकार उपकला (Stratified Columnar Epithelium)
  5. रोमक स्तरित  स्तंभाकार उपकला (Stratified Columnar Ciliated Epithelium)
    

      A) सरल उपकला ऊतक (simple Epithelium Tissue)  

सरल उपकला ऊतक (Simple Epithelium) में कोशिकाओं की एक ही परत होती है।ये संरचना में बहुत ही सरल होते है और ये ऊतक अवशोषी और स्त्रावी सतहों पर पाए जाते है। 

ऊतक क्या है ऊतक के प्रकार - tissue kitne prakar ke hote hain
सरल उपकला ऊतक (simple Epithelium Tissue)

सरल उपकला ऊतक (Simple Epithelium Tissue) ऐसी जगह पाए जाते है जहाँ बहुत ही कम टूट फुट या बहुत ही काम घर्षण होता है। 
इन ऊतकों को कोशिका आकर और कार्यो के अनुसार 5 वर्गों में बाँटा गया है:-

1.) शल्की उपकला ऊतक (Squamous Epithelium Tissue)

यह बड़ी एवं चपटी कोशिकाओ की एक परत की बनी होती है।और ये सभी बेसमेन्ट मेम्ब्रेन पर जमी होती है।
न्यूक्लियस सामान्यत: कोशिका के केंद्रक में होता है। 
इस प्रकार की उपकला लंग्स की अलविली, रक्तवाहिकाओं  एवं लसीका वाहिनियों में रहती है
कार्य - इस उपकला का प्रमुख कार्य रक्षात्मक है। साथ ही गैसो का आदान प्रदान भी इसके द्वारा होता है।

 2.) घनाकार उपकला ऊतक (Cuboidal Epithelium Tissue)

इसकी कोशिकाए घनाकार होती है और एक ही परत की बनी होती है।और ये सभी बेसमेन्ट मेम्ब्रेन पर जमी होती है। जैसे श्वाशन नलिकाओं , लार ग्रंथि ,थायराइड, पाचन ग्रंथियां, की सतह पर पायी जाती है।
कार्य - इस  प्रकार की उपकला अंगो की रक्षा करती  है। साथ ही कन्ही कन्हि secretion और storage आदि का कार्य करती है ।

3.) स्तंभाकार उपकला ऊतक (Columnar Epithelium Tissue)

इसकी कोशिकाएं चौड़ाई में कम तथा ऊंचाई में अधिक अर्थात आयताकार होती है इसमें भी कोशिकाए आधार कला पर एक परत में अवस्थित रहती है। 
इस प्रकार की उपकला अमाशय, आंतो के अंदर, alveoli तथा अधिकांश ग्रंथियों की नली में पाई जाती है। इसमें कोशिकाओं का आकार विभिन्न स्थानों पर भिन्न-भिन्न प्रकार का होता है।
कार्य - इस  प्रकार की उपकला अत्यधिक महत्वपूर्ण होती है। स्त्रावण (secretion )और अवशोषण (absorption) 2 मुख्य  कार्य करती है। 

    4.) रोमक उपकला ऊतक (Ciliated Epithelium Tissue)

इस प्रकार की कोशिकाएं स्तभाकार  होती है। किंतु कहीं - कही यह घनाकार भी होती है प्रत्येक कोशिका के सिरे पर 20 से 30 बालों के समान रचना पाई जाती है । जिन्हे रोमिकाए (cilia or flagella ) कहते है। 
इस प्रकार की उपकला डिंब वाहिनीयो (Fallopian tubes) शवसन मार्गो की नालिकाओ अदि में पायीं
जाती है ।
कार्य - रोमक गति प्रति सेकंड 10 से 20 बार होती है ।इसमें एक बार रोमिकाएं झुकती है और दूसरी बार सीधे अवस्था में लौट आती है इसी रोमक गति से डिंब (ovum) डिंब वाहिनी  से गर्भाशय की ओर खिसकता  है , स्वसन मार्गो से धूल  , म्यूकस आदि गले की ओर बढ़ते रहते हैं।

5.) ग्रंथिल उपकला ऊतक (Glandular Epithelium Tissue)

Glandular Epithelium एक प्रकार का उपकला उत्तक है जो हमारे शरीर की ग्रंथियों को कवर करता है। इनका मुख्य कार्य स्त्राव होता है अंतः स्त्रावी और बाही: स्त्रावी दोनों ग्रंथियां विशेष कोशिकाओं के माध्यम से ग्रंथियों के उपकला के माध्यम से अपने स्त्राव का उत्पादन करती है।
 कार्य - इस उपकला की कोशिकाएं किसी ना किसी नए पदार्थ का उत्पादन करती है तथा उन्हें उनके अलग-अलग स्त्रावो में पास कर देती जो की इनका अत्यंत महत्वपूर्ण कार्य है

B) मिश्रित उपकला ऊतक (Compound Epithelium Tissue)


ऊतक क्या है ऊतक के प्रकार - tissue kitne prakar ke hote hain
मिश्रित उपकला ऊतक (Compound Epithelium Tissue)

मिश्रित उपकला  
(Compound epithelium) मे कोशिकाओ की एक से ज्यादा परत होती है। इसका मुख्य काम अपने नीचे स्थित अंगो (organs ) की रक्षा करना होता है। ये भी कई प्रकार के होते है । ये निम्न है-

1.) अंतरवर्ती उपकला ऊतक (Transitional Epithelium Tissue

इस प्रकार की उपकला में कोशिकाओं की तीन या चार परते होती है तथा यह  एक परत वाली सरल उपकला एवं अनेकों परत वाली स्तरित उपकला के बीच वाले स्थान में पाई जाती है इसलिए इसेअंतरवर्ती  उपकला कहा जाता है इनमें दो न्यूक्लियस पाए जाते हैं।
इस प्रकार की उपकला गुर्दे की  गोणिका मूत्रनलियों और मूत्राशय तथा मूत्र मार्ग के ऊपरी भाग में पाई जाती है यह उपकला उत्सर्जित पदार्थों को  संस्थान में फिर से अवशोषित होने से रोकती है।

 2.) श्रंगी स्तरित शल्की उपकला ऊतक (Stratified Squamous cornified Epithelium Tissue)

यह उपकला कोशिकाओं के अनेकों परतों से मिलकर बनती है सुपरफिशियल परत में केराटिन  के जमाव के कारण श्रृंगी (horny) हो जाती है । यह त्वचा में पाई जाती है। 
बाल, नाखून ,दातों का इनेमल आदि ईसी वर्ग के एपिथेलियल ऊतक है। त्वचा की अगली परत चपटी, शल्को  के समान बनती हैं। इसी कांटेदार बनावट के कारण इन कोशिकाओं को शक कोशिकाएं कहा जाता है।

 3.) अश्रंगी स्तरित शल्की उपकला  ऊतक (Stratified Squamous non-cornified Epithelium Tissue)

इसकी रचना श्रंगी स्तरीत उपकला के समान ही है, अंतर केवल इतना है कि इसमें ऊपरी परत केरेटीन की नहीं होती है इस तरह की उपकला कार्निया, मुंह, ग्र्सनी ( pharynx), ग्रसनाली (oesophagus), anal canal, योनि एवं गर्भाशय आदि अंगो मे पाई जाती है। इस उपकला से अंगों को यांत्रिक सुरक्षा मिलती है। 

  4.) स्तरित स्तंभाकार उपकला ऊतक (Stratified Columnar Epithelium Tissue)

इस प्रकार की उपकला दुर्लभ होती है तथा केवल कुछ ही स्थानों पर पाए जाते है। यह ग्रसनी , गुदीय मयूकोजा, पुरूष मुत्र मार्ग आदि में पाए जाते है।

5.) रोमक स्तरित स्तंभाकार उपकला ऊतक (Stratified Columnar Ciliated Epithelium Tissue)
यह भी केवल कुछ छोटे स्थानों जैसे कोमल तालु की सतह, नासा, स्वर यंत्र के कुछ भागो आदि में पाए जाते है।इनकी सतह पर कई अनगिनत रोमनुमा उभार होते है जिनको रोमिकाएँ या Cilia कहते है। 

2  संयोजी ऊतक (Connective tissue)

यह  ऊतकों का एक विस्तृत समूह है जो कई प्रकार के होते हैं। इनका मुख्य  कार्य संयोजन करना  होता है।ये शरीर को एक ढांचा प्रदान करते है। 
इनमे कोशिकाए बहुत ज्यादा सटी हुई नही होती बल्कि एक दूसरे से काफी अलग अलग होती है। जिनके बीच में एक पदार्थ भरा होता है जिसे मैट्रिक्स कहते हैं।


Tissue kitne prakar ke hote hain
संयोजी ऊतक (Connective tissue)

 
संयोजी ऊतकों की कोशिकाएं विभिन्न रूप रंग और आकार की होती है।ये सभी कोशिकाए  मिजेनकाईमल कोशिकाएं कहते है।
संयोजी ऊतक (Connective tissue) संरचना और कार्यो के आधार पर निम्नलिखित प्रकार के होते है:-
  • अवकाशी ऊतक (Areolar tissue)
  • वशीय ऊतक ( Adipose tissue )
  • श्वेत तंतुमय ऊतक (white fibrous tissue)
  • पीत तंतुमय ऊतक (Yellow elastic tissue)
  • जालीदार ऊतक (Reticular tissue)
  • रक्त उत्पादक ऊतक ( Haemopoetic tissue)
  • उपास्थि ऊतक (Cartilage tissue)
  • अस्थि ऊतक (Bone or osseous tissue)
  • लसीकाभ ऊतक ( Lymphoid tissue)
  • श्लेषमा ऊतक (Mucoid tissue)

(I) अवकाशी ऊतक (Areolar tissue)

शरीर में यह अन्य संयोजी ऊतकों की अपेक्षा सबसे अधिक पाया जाने वाला ऊतक है। यह ढीला ढाला  ऊतक होता है जो अन्य ऊतकों को जोड़ने और उन्हें सहारा देने का कार्य करता है यह शरीर के प्रत्येक भाग  पर,जैसे त्वचा के नीचे, पेशियों के बीच तथा पाचन नली आदि में  पाया जाता है।

(II) वशीय ऊतक ( Adipose tissue )

वसा ऊतकों की विशेषता है कि इसमें वसा कोशिकाओं में वसा जमा रहती  है। वसा कोशिकाएं बड़ी-बड़ी गोलाकार या अंडाकार होती है और इनका समस्त भाग  वसा गोलिकाओ (fat globules )से भरा  हुआ होता है। यहां तक कि वसा के दबाव से साइटोप्लाज्म और न्यूक्लियस किनारे से  चपटे हो जाते हैं।
वसीय ऊतक चोट लगने से रक्षा करता है और वसा के रूप में शरीर शक्ति को संचित करता है। यह शरीर के तापमान को नियंत्रित रखता है। 
भूखे रहने की स्थिति में शरीर में संचित वसा का ही उपयोग होता है। ऐसी स्थिति में इसका ऑक्सीकरण होता है, जिससे शरीर के लिए आवश्यक ऊर्जा और ऊष्माकी प्राप्ति होती है।

(III) श्वेत तंतुमय ऊतक (white fibrous tissue)

 इस प्रकार के ऊतक चमकदार स्वेत तंतुओ से निर्मित होते हैं ।यह तंतु पतले और अशाखीय  रहते हैं। इन ऊतकों की रसायनिक रचना में मुख्य रूप से कॉलेजन नामक प्रोटीन होती है। इस प्रकार के ऊतक टेंडन, लिगामेंट, आर्टिकल कैप्सूल, आदि अंगो के तन्तुमय लेयर और कुछ मेंबरेन में पाए  जाते है। ये ऊतक अत्यधिक लचीले  होते है।

(IV) पीत तंतुमय ऊतक (Yellow elastic tissue)

इस प्रकार के संयोजी ऊतकों की रचना की भी तंतुमय ही होती है परंतु व्हाइट फाइबर्स टिश्यू से इनकी रचना मिलती है । इनमें पीलापन रहता है तथा तंतु कुछ मोटे होते हैं।
इन तंतु में इलास्टिकसिटी रहती  है।तथा ये  इलास्टिक नामक प्रोटीन से बने होते हैं। इस प्रकार के उत्तक रक्त वाहिनी एवं स्वास नलिकाओं  की भक्ति में पाए जाते हैं।

(V) जालीदार ऊतक (Reticular tissue)

इस तरह के ऊतक भी अवकाशी ऊतकों के समान होते  हैं।लेकिन इनकी कुछ अपनी भी विशेषताएं होती है यह रचना में स्वेत तंतुमय में  ऊतक  से मिलते जुलते होते हैं परंतु यह बारीक एवं पतले होते हैं। 
इनकी कोशिकाओं के बीच में बहुत कम खाली स्थान रहता है तथा उस खाली स्थान में लसीका (lymph) एवं ऊतक द्रव्य भरा रहता है। इस तरह के ऊतक यकृत, प्लीहा, अस्थिमज्जा (bone marrow) तथा बहुत से अन्य अंग में पाए जाते हैं।

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Types of Connective tissue 

(VI) रक्त उत्पादक ऊतक ( Haemopoetic tissue)

रक्त एक तरल संयोजी ऊतक है ।इस पर सभी जीवो का जीवन निर्भर करता है। ब्लड वेसल्स से होकर रक्त संपूर्ण शरीर में जब तक हम जीवित रहते है  बहता रहता है। रक्त एक ऐसा उत्तक है जो द्रव है तथा अस्थिर एवं गतिशील है। 
रक्त हमारे शरीर का  लगभग 1/,20 भाग होता है। इस प्रकार स्वस्थ शरीर में रक्त की मात्रा लगभग 6 लीटर होती है। रक्त एक अंग को दूसरे अंग को जोड़ता है । इसलिए यह एक संयोजी ऊतक है।

(VII) उपास्थि ऊतक (Cartilage tissue)

कार्टिलेज ऊतक अन्य संयोजी ऊतकों से अधिक कठोर परंतु अस्ति की अपेक्षा कमजोर होता है यह कुछ-कुछ अपारदर्शी चमकदार कठौर संरचना वाला यानी लचीला होता है। 
उपस्थि ऊतक कार्टिलेज सेल्स, कांड्रियोब्लास्ट्स, मेट्रिक्स से मिलकर बने होते है। इनको तीन वर्गों में विभाजित किया है।
  • हायलिन कार्टिलेज
  • फाइब्रो कार्टिलेज
  • इलास्टिक कार्टिलेज

(VIII) अस्थि ऊतक (Bone or osseous tissue)

अस्थि ऊतक (Bone or osseous tissue) सभी संयीजी ऊतकों सबसे अधिक कठोर होता है, जो कंकाल का निर्माण करते हैं। यह अस्थि कोशिका एवं  कैल्शियम  लवणों तथा अंतर कोशिकीय आधार पदार्थ का बना होता है। 
अस्थि ऊतक पेरिओस्टियम से कवर रहते है। इसमें तीन तरह की अस्थि कोशिकाएं -  ओस्टियोब्लास्ट, ओस्टियोक्लास्ट, तथा ओस्टियोसाइट होती है ।

(IX) लसीकाभ ऊतक ( Lymphoid tissue)

लसीका भी एक प्रकार का संयोजी उत्तक होता है इसमें एक semi-solid मैट्रिक्स होता है जिसमें लसीका कोशिकाएं अधिक संख्या में पाई जाती है इनका अधिकांश भाग केंद्रक से ही भरा रहता है । 
लसिका उतको में इस प्रकार की कोशिकाए सर्वत्र बिखरी रहती है। इनमे लसीका पर्व पाए जाते है। जिनकी वजह से लसिका एक ही दिशा में बहती है। ये लसिका पर्व स्प्लीन, टॉन्सिल, बोनमैरो, एपेंडिक्स,छोटी आंत बड़ी आंत आदि में पाए जाते है।

(X) श्लेषमा ऊतक (Mucoid tissue)

 श्लेष्मा ऊतक अवकाशी ऊतकों के ही रूपांतरित भ्रुणिय ऊतक होते है। जिनमें तंतुमय ऊतकों का अभाव रहता है। तथा कोशिकाए लगभग समंगी जेली के  सामान आधार पदार्थ में इधर-उधर बिखरी होती है। तथा साथ ही कुछ तंन्तु भी होते हैं ।इस प्रकार के ऊतक umbilical cord में Wharton jelly के रूप में तथा वायस्को में नेत्र कचाभ द्रव में पाए जाते है।

3  पेशीय ऊतक  (Muscular tissue)

पेशियों ऊतक संकुचनशील तंतुओं से मिलकर बना होता है। जिससे शरीर तथा शरीर के किसी भाग में गति होती है। उत्तेजित होने पर संकुचित होने की क्षमता पेशियों ऊतक  की विशिष्टता है। इसमें उत्तेजनशीलता, चालकता, तथा लचीलापन का गुण भी होता है। 
पेशीय ऊतक में अंतरकोष्कीय पदार्थ बहुत  कम होता है जिससे तंतु या कोशिकाए  बहुत पास- पास सटी होती है।
पेशीय निम्न तीन प्रकार की होती है।
  • ऐच्छिक पेशी (voluntary muscles)
  • अनैच्छिक पेशी ( involuntary muscles)
  • हृदय पेशी (cardiac muscle)


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पेशीय ऊतक  (Muscular tissue)

A.) ऐच्छिक पेशी (voluntary muscles)

इसे रेखित पेशी भी कहते हैं इन पेशियों को अपनी इच्छानुसार  संकुचित एवं प्रसारित किया जाता हैं। जिससे शरीर के विभिन्न अंगों में गति होती अत: इन्हें ऐच्छिक पेशिय कहा जाता है।

B.) अनैच्छिक पेशी ( involuntary muscles)

इसे अरेखित तथा चिकनी पेशी भी कहते हैं । इस वर्ग की पेशियां इच्छाधीन नहीं होते हैं। इनमे अनेच्छिक तन्त्रिका तन्त्र ( involuntary nervous system) की  नियंत्रण व्यवस्था रहती है।


C.) हृदय पेशी (cardiac muscle)

इस वर्ग की पेशिया केवल  हृदय की भितियो में ही पाई जाती है। इनमे ऐच्छिक पेशीयो की तरह पट्टियां होती है। परंतु इनकी क्रिया अनेच्छीक होती है।मतलब  इच्छा का नियंत्रण नहीं होता है। मृत्यु पर्यंत बिना विश्राम किए संकुचित एवं शिथिल होती रहती है।

4  तन्त्रिका ऊतक (Nervous tissue)

तंत्रिका ऊतक विशेष रूप से शरीर के बाहर एवं अंदर से संवेदना को ग्रहण करता है। उत्तेजित होने पर यह ऊतक अन्य ऊतकों तक आवेगो को शीघ्रता से ले जाता है ।तंत्रिका ऊतक तंत्रिका कोशिकाओं तथा उनके निकले हुए तंतुओ  से मिलकर बनते हैं ।एक तंत्रिका कोशिका अपने सभी निकले हुए तंतुओ सहित न्यूरोन कहलाती है। न्यूरोन के मुख्यत: 2 भाग होते है:-
  • कोशिका काय ( cell body)
  • प्रवृध (processes)
कोशिका काय ( cell body) :-
तंत्रिका कोशिका न्यूरान में एक बड़ा तथा अनियमित आकार का कोशिका काय cell body होता है ,जिसके मध्य में एक बड़ा न्यूक्लस होता है । इसके बाहर साइटोप्लाजम रहता  है।


Tissue kitne prakar ke hote hain
तन्त्रिका ऊतक (Nervous tissue)

कोशिका काय में कई  छोटे-छोटे  processes होते  हैं। जिन्हें डेन्ड्राइट एवं अक्षतन्तु (Axon) कहते हैं। इन्हीं के द्वारा तंत्रिका आवेग कोशिका काय तक पहुंचते हैं। अथवा इससे बाहर निकलते हैं।

प्रवृध (Processes) :-

यह न्यूरॉन की सेल बॉडी या साइटोन से निकलने वाले उभार होते है जिनको डेन्ड्राइट या पार्श्वतन्तु कहते है। इसमें से निकलने वाली प्रोसेस में से एक बहुत लम्बी हो जाती है जिसको अक्षतन्तु (Axon) कहते है। अक्षतन्तु (Axon) एक "Axon-Hillock" के द्वारा कोशिका के या साइटोन से जुड़ा रहता है। अक्षतन्तु (Axon) के चारो तरफ एक पतली मेम्ब्रेन होते है जिसको एक्सोलेमा कहते है।
 कुछ न्यूरॉन्स में फैट की बनी एक लेयर होती है जिसे माइलिन आवरण भी कहते है इस मायलिन आवरण के बाहर की तरफ एक और लेयर होती है जिसे न्यूरिलेमा कहते है। इस न्यूरिलेमा में स्वान कोशिकाएं पायी जाती है जो इसको बनाने का काम करती हैएक न्यूरॉन को दूसरे न्यूरॉन के साथ जुड़ने में मदद करते है।  

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FAQs about tissue

ऊतक नाम किसने दिया? 

ऊतक शव्द या नाम की खोज सन 1801 में हुयी थी। ऊतक या टिश्यू शव्द "Xavier Bichat" (जेवियर बिशैट) नामक वैज्ञानिक ने दिया था।

सबसे कठोर ऊतक कौन सा है? 

हमारे दाँत का एनेमल या दन्तवल्क शरीर का सबसे कठोर ऊतक होता है। हमारे दाँत भी एक प्रकार के संयोजी ऊतक होते है।

शरीर का सबसे मजबूत ऊतक कौन सा है? 

हमारे दाँत का एनेमल या दन्तवल्क ही हमारे शरीर का सबसे मजबूत ऊतक होता है जो दाँतो की ऊपरी सतह पर होता है।

मानव शरीर में कितने ऊतक होते हैं? 

मानव शरीर में मुख्यतः चार प्रकार के ऊतक ही पाए जाते है- उपकला ऊतक, पेशी ऊतक, संयोजी ऊतक, एवं तंत्रिका ऊतक। 

ऊतक कैसे बनते हैं? 

हमारे शरीर में ऊतकों का निर्माण विभिन्न प्रकार की कोशिकाओं से होता है जब कई कोशिकाएं एक साथ मिलकर एक समूह के रूप में काम करने लगती है तब उसे ऊतक कहते है 

ऊतक की खोज कब हुई? 

ऊतक की खोज सन 1801 में हुयी है, ऊतक की खोज "Xavier Bichat" (जेवियर बिशैट) नाम के वैज्ञानिक के द्वारा की गयी है। 

हड्डियों में कौन सा ऊतक पाया जाता है? 

हमारी हड्डियाँ एक प्रकार की संयोजी ऊतक होती है, जिसे अस्थि ऊतक कहता है। अस्थि ऊतक काफी मजबूत होता है।

ब्लड कौन सा टिश्यू है? 

हमारी बॉडी का ब्लड एक तरल संयोजी ऊतक होता है, जो पूरी बॉडी में परिसंचरण करता रहता है और शरीर को जरुरी पोषण व् अन्य सामग्री उपलब्ध कराता है। 


हड्डियों को आपस में जोड़ने वाले उत्तक को क्या कहते हैं?

हड्डियों को आपस में जोड़ने वाले उत्तक को स्नायु या लिगामेंट कहा जाता है जो एक प्रकार का संयोजी ऊतक होता है।
 
कौन सा ऊतक शरीर का संरक्षण करता है?

हमारे शरीर की ज्यादार सतहों का संरक्षण या सुरक्षा उपकला ऊतक करते है क्योकि ये लगभग शरीर की सभी सतहों पर पाये जाते है। 

ऊतकों के एक समूह को क्या कहते हैं? 

जिस प्रकार से बहुत सारी कोशिकाओं के समूह को ऊतक कहते है ठीक उसी प्रकार से ऊतकों के एक समूह से मिलकर एक अंग का निर्माण होता है। 

ऊतक को हिंदी में क्या कहते हैं? 

ऊतक शव्द एक हिंदी शव्द ही होता है जिसका अर्थ एक सामान संरचना और कार्य करने वाली कोशिकाओं का समूह होता है।

सबसे कठोर ऊतक कौन सा है? 

हमारे दांतो के सबसे बाहरी भाग में इनेमल या दंतवल्क नाम का एक आवरण पाया जाता है जो, हमारे शरीर का सबसे कठोर ऊतक माना जाता है






Jeetendra Royal

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