एलर्जी क्या और कैसे होती है?? allergy kya aur kese hoti hai

allergy kya aur kese hoti hai
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एलर्जी क्या और कैसे होती है एलर्जी(Allergy) के बारे में हम कितना जानते हैं एलर्जी एक प्रकार का इम्यून रिस्पांस होता है जिसमें  हमारा इम्यून सिस्टम (immune system) रिएक्ट करता है। सामान्य तौर से हमारा इम्यून सिस्टम तब रिएक्ट करता है जब कोई बाहरी हानिकारक सब्सटेंस हमारी बॉडी में इंटर कर जाता है।

 एलर्जी को हाइपरसेंसटिविटी (hypersenstivity) भी कहा जाता है क्योंकि इसमें हमारा शरीर किसी बाहरी एंटीजन के लिए बहुत ही ज्यादा सेंसिटिव हो जाता है और प्रतिक्रिया करने लगता है।

 इस प्रतिक्रिया को एलर्जी रिस्पांस या हाइपरसेंसटिविटी कहा जाता है। जिन सब्सटेंस के कारण एलर्जी रिस्पांस उत्पन्न होता है उनको एलर्जन(Allergen) कहा जाता है। यह कई प्रकार के होते हैं।  एलर्जी कई प्रकार की होती है जो कभी भी हो सकती है।

एलर्जी कैसे होती है? /How does allergy happen?

 हमारे इम्यून सिस्टम(immune system) का मुख्य काम यह होता है कि वह हानिकारक हानिकारक पदार्थों  को  हमारे शरीर से दूर रख कर हमारी सुरक्षा करता है जिसे हम इम्यूनिटी(immunity) कहते हैं। इस प्रक्रिया में इम्यून सिस्टम बाहरी पदार्थों पर अटैक करके हमें बाहरी खतरों से बचाता है।

 जब भी कोई बाहरी पदार्थ हमारे बॉडी के संपर्क में आता है और हमारे इम्यून सिस्टम को लगता है कि वह हमारे शरीर के लिए खतरा है या हानिकारक है तो हमारा इम्यून सिस्टम रिएक्ट करने लगता है और एलर्जिक रेस्पॉन्स (allergic response) चालू हो जाता है। इस एलर्जिक रेस्पॉन्स को ही हम एलर्जी कहते है।

एलर्जी की प्रोसेस में जब को बाहरी एंटीजन हमारी बॉडी में अंदर जाता है तो हमारे इम्यून सिस्टम में उपस्थित सेल्स जैसेकि आईजीइ(IgE) एंटीबाडी मास्ट सेल्स(mast cells) या बासोफिल्स(Basophils) एक रिसेप्टर की तरह काम करती है और एंटीजन से प्रेरित होकर इनफ्लामेट्री केमिकल्स (जैसेकि histamine) छोड़ती है। जिससे बॉडी में एलर्जिक रिस्पांस या हाइपर सेंसिटविटी होने लगती है। 

एलर्जी के लक्षण क्या होते है (symptoms of allergy )

एलर्जी के लक्षण उसके प्रकार और एलर्जन की प्रकर्ति पर निर्भर करते है सामान्य रूप से एलर्जी में शुरुआती तौर पर कुछ निम्लिखित लक्षण दिख सकते है-

एलर्जी के लक्षण क्या होते है (symptoms of allergy )  एलर्जी के लक्षण उसके प्रकार और एलर्जन की प्रकर्ति पर निर्भर करते है सामान्य रूप से एलर्जी में शुरुआती तौर पर कुछ निम्लिखित लक्षण दिख सकते है-
Symptoms of allergy

  • डस्ट या पॉलेन(pollen) से होने वाली एलर्जी में हवा के सम्पर्क में आने के बाद तेज बुखार , नाक में खुजली व् जलन , छींके आना और आखे लाल पड़ जाना ये सब लक्षण नजर आने लगते है।
  • साँस के द्वारा बॉडी में अंदर जाने वाले एलर्जन लंग्स(lungs) में जाकर म्यूकस(mucus) उत्पन्न करते है जिससे साँस लेने में परेशानी ,घरघराहट, खांसी और घबराहट होती है।
  • फ़ूड एलर्जी में पेट दर्द , उलटी , डायरिआ , और स्किन में खुजली इत्यादि लक्षण दिखाई देते है।
  • इन्सेक्ट स्टिंग्स, फ़ूड, एंटीबायोटिक्स(antibiotics) और कुछ मेडिसिन्स एक साथ मिलकर एक सिस्टेमेटिक एलर्जिक रिस्पांस उत्पन्न करते है जिसे एनाफ्लैक्सिस कहते है इसमें कई सारे ऑर्गन्स एक साथ प्रभावित होते है।

एलर्जी कितने प्रकार की होती है ??(Types of Allergy)

एलर्जी एक प्रकार का इम्यून रिस्पांस होता है जो कुछ समय से लेकर काफी लम्बे समय तक रह सकता है एलर्जी को उसमे होने वाली प्रतिक्रिया और एलर्जी के कारणों के आधार पर हम एलर्जी के प्रकारो दो ग्रुप में बाँट सकते है 

एलर्जी के दौरान होने वाली प्रतिक्रिया के आधार पर एलर्जी को निम्न चार भागो में बाँट सकते है -

  1. इमिडिएट एलर्जी (immediate (anaphylatic) allergy).
  2. साइटों टॉक्सिक एलर्जी (cytotoxic allergy).
  3. इम्यून काम्प्लेक्स एलर्जी (immune complex allergy).
  4. डिलेड एलर्जी (delayed allergy/cell-mediated hypersensitivity).
एलर्जी के कारणों के आधार पर एलर्जी को कई भागो बाँट सकते है-
  • Environmental Allergies
  • Food Allergy
  • Living Area Allergy
  • Pet Allergy
  • Insect allergy
  • Plant Allergy
  • Latex allergy
  • Mold Allergy
  • Pollen Allergy

वातावरणीय एलर्जी  (Environmental Allergies)

एलर्जी का सबसे व्यापक रूप होता है हमारे एन्वॉयरमेंट में बहुत सरे एलर्जन्स पाए जाते है जो एलर्जी पैदा कर सकते है। हमारे लिए वातावरण से दूर रहना मुश्किल होता है क्योकि हमारी सामान्य जरूरतों और दैनिक जीवन के कामो को करने के लिए हमें बाहर निकलना ही होता है।
 इस प्रकार से हम वातावरण के संपर्क में आते रहते है ऐसे में वातारवरण से होने वाली एलर्जी होने की बहुत ज्यादा संभावना रहती है।
इस प्रकार की एलर्जी में हमारे आस पास रहने वाले पालतू जानवरों और अन्य जानवरों से निकले वाले एलर्जन , वर्कस्टेशन से निकलने वाले हार्मफुल केमिकल्स , फ़ूड से निकने वाले वेस्ट से और पेड़ पौधो से निकलने वाले परागकणों से एलर्जी हो सकती है। 
इस प्रकार के एलर्जन से एलर्जिक रायनाइटिस (allergic rhinitis), एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस (allergic conjunctivitis), साइनोसाइटिस, अस्थमा (लंग्स) टॉपिक डर्मेटाइटिस /एक्जिमा(eczema) इत्यादि मेडिकल कॉम्प्लीकेशन्स उत्पन्न हो सकती है।
इन एनवायर्नमेंटल एलर्जन्स के संपर्क में आने के बाद आपको अचानक से कुछ लक्षण जैसे नाक से पानी बहना , साँस लेने में परेशानी इत्यादि हो सकते है। 
आर्गेनिक एनवायर्नमेंटल एलर्जन्स में पौधो और फूलो से निकलने वाले पॉलेन या पराग कण , हवा की धूल , और जानवरो से निकलने वाले डेंडर व् फेरोमोन्स ये सब आते है। 

वातावरणीय एलर्जी  से बचने कुछ उपाय 

एनवायर्नमेंटल एलर्जी से बचना आसान नहीं होता पर यह असंभव भी नहीं होता है इस प्रकार की एलर्जी से बचने के लिए आप अपने घर और जरुरत की के सामानो को अच्छे साफ करे , पालतू जानवरो की सफाई रखे , साथ में कुछ कंडीशंस में हिस्टामिन लेने से भी एलर्जी ठीक हो सकती है। 
कई बार जब हम इन एलर्जी पैदा करने वाले एलर्जन्स के संपर्क में आते है तो कुछ नहीं होता है ऐसा इसलिए होता है क्योकि हम उस समय हम इनके बारे में सोचते नहीं है। एलर्जी से बचने और इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने के लिए कुछ टाइम के लिए इनके बारे में सोचना या महसूस नहीं करना चाहिए।

फ़ूड एलर्जी (Food Allergy) 

फ़ूड एलर्जी में हम देखते है कुछ लोगो स्पेसिफिक फ़ूड से सेंसिटिव होते और उनको एलर्जिक रिएक्शन होने लगती है। इस प्रकार की एलर्जी में कोई पर्टिकुलर फ़ूड लेने के बाद हमरा इम्यून सिस्टम असामान्य रूप से रियेक्ट करने लगता है और हम हाइपर सेंस्टिविटी महसूस करने लगते है। 
जिन लोगो इस प्रकार की एलर्जी होती उनको स्पेसिफिक फ़ूड लेने के बाद अचानक से स्किन पर निशान , ब्रोन्कियल कंजेस्शन , कुछ जगहों पर खुजली , और साँस लेने में तकलीफ होने लगती है। फ़ूड एलर्जी के सामान्य लक्षणों में पेट दर्द , उलटी होना , साँस लेने में परेशानी , सिकनेस इत्यादि लक्षण दिखाई देने लगते है।
 
इस प्रकर की एलर्जी से बचने के लिए आपको फ़ूड एलर्जी टेस्ट करना चाहिए जिससे आपको पता चल सके की आपको क्या खाना है और क्या नहीं खाना है।
फ़ूड एलर्जी से बचने के लिए एक और अच्छा उपाय है जिसे डेसेंसिटाइज़शन कहते है इसके लिए वह व्यक्ति जिसको फ़ूड एलर्जी होती है। उसके भोजन थोड़ी सी मात्रा में उसके एलर्जिक फ़ूड को मिलाया जाता है जिससे धीरे धीरे उसके इम्यून सिस्टम को इस प्रकार के खाने की आदत हो जाये और इम्यून सिस्टम मजबूत हो जाता है। 

लिविंग एरिया एलर्जी (Living Area Allergy)

लिविंग एरिया एलर्जी एक प्रकार की ऐसी एलर्जी है जिसमे हमें किसी बाहरी एलर्जन्स से नहीं बल्कि हमारे घर , अपार्टमेंट , या लिविंग रूम से एलर्जी होने लगती है। वैसे तो हम ज्यादातर समय घर पर ही रहते है पर जब हम किसी जगह पर जाते है या काम करने घर से बाहर जाते है तो काम ख़त्म करने के बाद आराम करने के लिए घर ही बापस लौटते है। ऐसे में लिविंग एरिया एलर्जी परेशान कर सकती है। 

इस प्रकार की एलर्जी घर की धुल , डेंडर , पालतू जानवरो के बाल , और पराग कणो के द्वारा हो सकती है इस प्रकार की एलर्जी घर पर ही सकती है चाहे हम बाहर जायें या ना जायें पराग कण इसका मुख्य कारण होते जो गार्डन के प्लांट्स से आते है। 

इसके लक्षण भी दूसरी एलर्जी के सामान ही होते है जिसमे शुरुआत में छींके आती है , साँस लेने में परेशानी , और शरीर में खुजली और जलन होती है इसके कुछ गंभीर या क्रिटिकल प्रॉब्लम हो सकती है। 

लिविंग एरिया एलर्जी से बचने के लिए अपने घर या लिविंग रूम की रोज़ना अच्छे से सफाई करे , डस्ट या धुल को वैक्यूम क्लीनर से साफ करें और साथ ही बाहर से आने वाले लोगो से बचे क्योकि उनके साथ भी बहुत प्रकार के एलर्जन्स आते है जिनसे हमें एलर्जिक रिएक्शन हो सकती है। 

पालतू जानवरो से एलर्जी (Pet Allergy)

पेट से होने वाली एलर्जी का मुख्य कारण पालतू जानवर होते है पालतू जानवरो के बालो में , स्किन सेल्स में , लार में और यूरिन में एलर्जिक रिस्पांस पैदा करने वाले प्रोटीन्स पाए जाते है जिनके सम्पर्क में आने के बाद हमारी बॉडी में एलर्जिक रिएक्शन उत्पन्न होने लगती है।

पालतू जानवरो से एलर्जी (Pet Allergy)  पेट से होने वाली एलर्जी का मुख्य कारण पालतू जानवर होते है पालतू जानवरो के बालो में , स्किन सेल्स में , लार में और यूरिन में एलर्जिक रिस्पांस पैदा करने वाले प्रोटीन्स पाए जाते है जिनके सम्पर्क में आने के बाद हमारी बॉडी में एलर्जिक रिएक्शन उत्पन्न होने लगती है
Pet Allergy

पेट्स एलर्जी के कारण बहुत से पालतू जानवर हो सकते है पर कुत्ते और बिल्लियाँ इसके मुख्य कारण होते है।

इस प्रकार की एलर्जी से नेजल ट्रैक में इंफ्लामैशन होता है जिसमे बहुत सरे लक्षण दिखाई देते है जैसे छींक आना नाक में खुजली , जलन , नाक का बंद होना , आँखों का लाल होना , खांसी , बुखार , और साथ ही अगर आपको अस्थमा है तो सांस लेने मे तकलीफ सीने में जकड़न या दर्द साँस छोड़ते समय घरघराहट की आवाज़ सांस लेने में तकलीफ खांसी या घरघराहट के कारण नींद में परेशानी इत्यादि लक्षण हो सकते है। 

इस प्रकार की एलर्जी से बचने के लिए सबसे अच्छा है की पेट्स से जितना हो सके दूर रहे और आपके पास कोई पेट्स हो तो उनको रोज़ नहलाये , उनको साफ सुथरा रखे। 

पेड़ पौधो से एलर्जी (Plant Allergy)

प्लांट एलर्जी लोगो को होने वाली एलर्जी में से एक प्रमुख एलर्जी होती है जो मनुष्यो के साथ साथ जानवरो को भी हो सकती है। प्लांट एलर्जी का मुख्य कारण पराग कण होते है जो पेड़ पौधो से आते है। प्लांट एलर्जी को एलर्जिक राइनाइटिस के रूप में भी जाना जाता है जिसे आमतौर पर हे फीवर के रूप में जाना जाता है।

 हे फीवर एक प्रकार का बुखार होता है जो एलर्जी के दौरान होता है हे फीवर का का सबसे आम कारण पराग कण होते है जो सामान्य रूप पौधो और फूलो से गर्मी और वसंत के मौसम में निकलते है। 

जब ये पराग कण हमरी बॉडी में अंदर जाते है तो बॉडी इनको हानिकारक सब्सटांस के रूप में लेती है और एलर्जी एंटीबाडीज बनती है जिनको हम आईजीई(IgE) कहते है। यह एंटीबाडीज कई प्रकार के लक्षण उत्पन्न करती है जैसे आँखों में जलन व् खुजली होना , नाक बहना , खासी चलना , साइनस ब्लॉक होना और थकान होना इत्यादि। हालांकि अभी तक हे फीवर से बचने के लिए कोई इलाज उपलब्ध नहीं है परन्तु प्लांट एलर्जी से बचने के लये कुछ सावधानिया रखी जा सकती है जो कुछ इस प्रकार से है -

  • उन पौधो से बचे जिनसे ज्यादा पराग कण निकलते है।
  • घर से बहार निकलें समय नाक मुँह और शरीर को अच्छी तरह से कवर करके निकलें। 
  • हिस्टामिन और आई ड्रॉप्स का उपयोग करके। 
  • घर में फूलो को न लाये।

कीड़ो से एलर्जी (Insect Allergy)

कीड़ो से होने वाली एलर्जी ज्यादातर गर्मियों के मौसम में होती है यह अन्य दूसरे मौसम में भी जो सकती है गर्मियों में कई प्रकार कीड़े आते है जिनके काटने से या उनके संपर्क में आने से कुछ लोगो को एलर्जी होने लगती है। जिन कीड़ो से सामान्यतः एलर्जी होती है उनको निम्न तीन भागो बाँट सकते है -

  • डंक मारने वाले कीड़े 
  • काटने वाले कीड़े 
  • घर में पाए जाने वाले कीड़े 
 डंक मारने वाले कीड़ो में मधुमक्खियाँ , ततैया , होरनेट्स येलो-जैकेट्स और फायर एन्ट ये सब आते है जब ये कीड़े आपको डंक मारते है तो ये हमारी बॉडी कुछ जहरीले पदार्थ छोड़ देते है जिनको वेनम कहा जाता है। ये वेनम हमारी बॉडी में जाकर एलर्जिक रिएक्शन पैदा करते है। 
कीड़ो से एलर्जी (Insect Allergy) कीड़ो से होने वाली एलर्जी ज्यादातर गर्मियों के मौसम में होती है यह अन्य दूसरे मौसम में भी जो सकती है गर्मियों में कई प्रकार कीड़े आते है जिनके काटने से या उनके संपर्क में आने से कुछ लोगो को एलर्जी होने लगती है जिन कीड़ो से सामान्यतः एलर्जी होती है उनको निम्न तीन भागो बाँट सकते है -
Insect Allergy Image

काटने वाले कीड़ो में  मच्छर , खटमल , बेड बग्स , और कुछ फ्लाईस सबसे आम कीड़े होते है जो काटने से होने वाली एलर्जी कारण बनते है। इन कीड़ो के काटने से कुछ लोगो को काटने वाली जगह पर दर्द , खुजली , जलन और सूजन आ जाती है।

 लोन स्टार टिक से काटने से लोगों में मांस के लिए एलर्जी पैदा हो सकती है। क्योकि इस टिक की पास अल्फा गैल शुगर होती है जो काटते समय हमरी बॉडी के ब्लडस्ट्रीम छोड़ देती है जिसे हमें मांस से एलर्जी होने लगती है।

घर में पाए जाने वाले कीड़े जैसे मक्खी , कॉक्रोच , और तिलचट्टे भी एलर्जी के कारण बन सकते है चाहे काटते या डंक नहीं मरते फिर भी एलर्जी पैदा कर सकते है। साल भर होने वाली कॉमन एलर्जी और अस्थमा का करना यही घर में पाए जाने वाले कीड़े बनते है। 

लैटेक्स से एलर्जी (Latex Allergy)

लैटेक्स एक प्रकार का प्रोटीन होता है जो एक ब्राज़ीलियाई रबर के पेड़ से निकलने वाला पदार्थ होता है जिससे सैप कहा जाता है प्राकर्तिक रबर से बने सभी प्रोडक्ट्स सैप से ही बनते है। हम हमारे दैनिक जीवन में बहुत सरे लैटेक्स से बनी चीज़ो का उपयोग करते है जैसे बलून , रबर बैंड , डायफ्राम , रबर से बने हैंड ग्लव्स और बहुत सारी चीज़े जिनसे हमें एलर्जी हो सकती है। 

कुछ लोगो को लैटेक्स से स्किन कांटेक्ट होने पर एलर्जी होती है और कुछ लोगो को हवा में लेटेक्स फाइबर सांस में लेने से एलर्जी होती है। प्राकृतिक रबर लेटेक्स से तीन प्रकार की एलर्जी होती है-

  • आई जी ई -मेडिएटेड एलर्जिक रिएक्शन 
  • सेल-मेडिएटेड कांटेक्ट डर्मेटाइटिस 
  • इर्रिटेन्ट डर्मेटाइटिस 
लैटेक्स से बानी चीज़ो के संपर्क में आने के बाद या उनका उपयोग करने के बाद लक्षण कुछ इस प्रकार से दिख सकते है -

  • गुब्बारा फुलाने के बाद खुजली या होंठ सूजना। 
  • बैंडेज का उपयोग करने के बाद स्किन का सूज जाना या लाल पड़ जाना ।
  • ग्लव्स(gloves) का उपयोग करने के बाद हाथो में जलन। 
जिन लोगो को लैटेक्स से हाई एलर्जी होती है उन लोगो को लैटेक्स की थोड़ी सी मात्रा के संपर्क में आने के बाद बहुत तेज और गंभीर प्रभाव हो सकते है जैसे सूजन आना , आँखों में जलन , साँस लेने में परेशानी और नाक से पानी बहना इत्यादि। 

लैटेक्स एलर्जी से बचने के लिए सबसे अच्छा तरीका है सिंथेटिक लैटेक्स का उपयोग करना क्योकि यह लैटेक्स सैप से नहीं बनता है इसे आर्टिफिशल रूप से बनाया जाता है। 

मोल्ड या कवक से एलर्जी (Mold Allergy)

अगर किसी व्यक्ति को किसी प्रकार की एलर्जी होती है तो उसको मोल्ड एलर्जी होने की पूरी संभावना रहती है। मोल्ड एलर्जी मोल्ड के स्पोर्स या फंगस से होती है। जिसमे ये स्पोर्स हवा के द्वारा हमारी बॉडी तक पहुंच जाते है और एलर्जिक रिएक्शन पैदा करते है। मोल्ड लगभग सभी जगहों पर पाये जाते है। 

मोल्ड या कवक से एलर्जी (Mold Allergy)  अगर किसी व्यक्ति को किसी प्रकार की एलर्जी होती है तो उसको मोल्ड एलर्जी होने की पूरी संभावना रहती है मोल्ड एलर्जी मोल्ड के स्पोर्स या फंगस से होती है जिसमे ये स्पोर्स हवा के द्वारा हमारी बॉडी तक पहुंच जाते है और एलर्जिक रिएक्शन पैदा करते है मोल्ड लगभग सभी जगहों पर पाये जाते है
Mold Allergy Image

मोल्ड्स और मिल्डयु एक प्रकर के कवक या फंगस ही होते है जो अपनी ग्रोथ और रिप्रोडक्शन पोधो और जानवरो से अलग तरीके से करते है। कवक या फंगस से निकलने वाले स्पोर्स से कई लोगो को एलर्जी होती है।

 मोल्ड एलर्जी या फंगस से होने वाली एलर्जी मुख्य रूप से जून या जुलाई में होती है। क्योकि उस समय पानी गिरता है और ज़मीन पर पड़ा हु कचरा सड़ने लगता है जिससे उसमे मोल्ड या फंगस बन जाती है। अधिकतर मोल्ड सर्दियों में ख़त्म हो जाते है क्योकि कवक ठंडे और नम वातावरण में बढ़ते है। फंगस या मोल्ड कई प्रकर के होते है परन्तु सभी मोल्ड या फंगस एलर्जी नहीं फैलते है। 

मोल्ड एलर्जी के लक्षण अन्य एलर्जी के लक्षणों के समान होते हैं जैसे कि छींकना खुजली बहती नेजल कंजेशन और ड्राई स्केलिंग स्किन इत्यादि। 

घर के बाहर पायी जाने वाली मोल्ड्स केवल वर्षा ऋतू या वसंत में ही एलर्जी फैलाती है। जबकि घर के अंदर पायी जाने वाली मोल्ड्स पुरे साल एलर्जी उत्पन्न कर सकती है। मोल्ड् के स्पोर्स जब हमारी नाक में जाते है तो हे फीवर हो सकता है साथ ही यह स्पोर्स लंग्स में चले जाये तो अस्थमा भी हो सकता है।

 जब ये स्पोर्स नाक या लंग्स में जाते है तो वहाँ की सेल्स के द्वारा एक केमिकल छोड़ा जाता है जो एलर्जी के लक्षणो को दिखाता है। यह एलर्जिक रिएक्शन कभी कभी तुरंत होने लगती है और कभी कुछ समय बाद होती है। 

मोल्ड एलर्जी से बचने के उपाय 

इस प्रकार की एलर्जी का कोई पक्का ईलाज या ट्रीटमेंट अभी तक तो नहीं है परन्तु इस प्रकार की एलर्जी से बचा जा सकता है मोल्ड एलर्जी से बचने के लिए कुछ सामान्य उपाय -

  • जितना हो सके उतना मोल्ड वाली जगहों से दूर रहे 
  • घर से बाहर निकलते समय हमेशा डस्ट मास्क पहने 
  • घरो के अंदर फंगस या मोल्ड को इकठ्ठा न होने दे 
  • घर के बाहर की घास को साफ रखे 
  • अपने आस पास सड़ा कचरा इकठ्ठा न होने दे 
  • अपने घर के बाथरूम , लिविंग रूम , और अन्य जगहों पर सफाई करे 
  • जितना हो सके घर में नमी कम रखे 

पराग कणो से एलर्जी  (Pollen Allergy)

कुछ लोगो को पौधो व् फूलो से निकलने वाले पराग कणो से एलर्जी होती है पराग कण आमतौर से गर्मी , वसंत और पतझाल के मौसम में आपनी ही प्रजाति के दूसरे पौधो से फर्टिलाइज़ करने के लिए छोड़े जाते है। पराग कण मौसमी एलर्जी के सबसे सामान्य कारणों में से एक होते है। इस एलर्जी को हे फीवर भी कहा जाता है और साथ ही पराग एलर्जी को "मौसमी एलर्जी राइनाइटिस" कहते हैं।

पराग कणो से एलर्जी  (Pollen Allergy) कुछ लोगो को पौधो व् फूलो से निकलने वाले पराग कणो से एलर्जी होती है पराग कण आमतौर से गर्मी , वसंत और पतझाल के मौसम में आपनी ही प्रजाति के दूसरे पौधो से फर्टिलाइज़ करने के लिए छोड़े जाते है पराग कण मौसमी एलर्जी के सबसे सामान्य कारणों में से एक होते है इस एलर्जी को हे फीवर भी कहा जाता है और साथ ही पराग एलर्जी को "मौसमी एलर्जी राइनाइटिस" कहते हैं।
Pollen Allergy Image

जिनको पराग कणो से एलर्जी होती उनमे जब ये पराग बॉडी के अंदर जाते है तो उनका इम्यून सिस्टम इन पराग कणो को हानिकारक बाहरी पदार्थ समझकर उन पर अटैक कर देता है जिससे एलर्जिक रिएक्शन उत्पन्न होने लगती है। 

पराग कणो से एलर्जी के लक्षण  (Symptoms of pollen allergy)

पराग कणो से होने वाली एलर्जी के लक्षण भी अन्य सभी एलर्जी के सामान ही होते है इसके लक्षण हमारे इम्यून सिस्टम पर निर्भर करते है की कैसे हमारा इम्यून सिस्टम रियेक्ट करता है। पराग कणो का हवा के द्वारा शरीर में जाने के बाद कुछ इस प्रकार के लक्षण दिखाई देते है -

  • साँस लेने में तकलीफ और घबराहट महसूस होना। 
  • नाक का बहना और बहुत म्यूकस बनना। 
  • गले में खराश और दर्द होना। 
  • सिरदर्द होना ।
  • कभी कभी नाक से खून आना।
  • आँखों में जलन होना ।

पराग कणो से एलर्जी का उपचार 

अगर आपको पराग कणो से एलर्जी है तो पराग कणो से होने वाली एलर्जी से बचने के लिए कुछ उपाय है जिनका उपयोग करके इस एलर्जी से बचा जा सकता है -

  • एंटी हिस्टामिन इस प्रकार की एलर्जी के लिए अच्छा उपाय है। 
  • आँखों होने वाली जलन के लिए आई ड्रॉप्स का उपयोग कर सकते है। 
  • बाहर से घर आने पर सबसे पहले अपने हाथो को अच्छे से धुले। 
  • सोने पहले अपने बालो को सम्पू आदि से अच्छे से धो लें। 
  • बिना किसी डॉक्टर की सलाह के कोई भी दवाई न ले। 
  • पालतू जानवरो से जितना हो सके उतना दूर रहे।

एलर्जी का पता कैसे लगाएं?/ How to Allergy Diagnosis

एलर्जी का ईलाज या ट्रीटमेंट करने के लिए पहले एलर्जी के प्रकार और उसमे होने वाले लक्षणों को जानना बहुत जरुरी होता है। क्योकि इसके बिना एलर्जी का ट्रीटमेंट संभव नहीं होता है। अगर आपको एलर्जी है और आप किसी डॉक्टर को दिखते है तो वह आपसे कुछ इस प्रकार से डिटेक्ट करते है -

  1. डॉक्टर आपसे एलर्जी में होने वाले लक्षण और परेशानी के बारे में पूछते है ताकि वह एलर्जी सही प्रकार और उसके कारणों का पता लगा सके। 
  2. यदि आपके डॉक्टर को लगता है कि आपको एलर्जी है तो वे आपकी बॉडी के ऑर्गन्स जहाँ आपको एलर्जी होती है जैसे नाक , कान , गला , आंखे छाती और पेट इत्यादि को चेक करते है। 
  3. इसके बाद आपके लक्षणों के आधार पर आपके डॉक्टर एलर्जी टेस्ट कराने के लिए कहते है जिससे की उन्हें आपकी एलर्जी का ईलाज करने में आसानी होती है एलर्जी के लिए स्किन टेस्ट या ब्लड टेस्ट कराये जाते है।

एलर्जी का टेस्ट कैसे होता है?

एलर्जी को डिटेक्ट करने के लिए कई प्रकार से एलर्जी टेस्ट किया जाता है जिससे की यह पता लगाया जा सके की हमें किस चीज से एलर्जी है एलर्जी को डिटेक्ट करने के लिए एलर्जन्स का उपयोग किया जाता है एलर्जी के लक्षण सभी लोगो में अलग अलग होते है।
जिन लोगो को एलर्जी होती पड़ती उनका एलर्जी टेस्ट करने से पहले अगर वे कोई दवाई या मेडिसिन लेते पड़ती तो उनको दवाइयाँ बंद करना पड़ती है। क्योकि इससे एलर्जी टेस्ट के रिजल्ट प्रभावित होते है कुछ दवाइयों जो बंद करनी होती है -

  • एंटी-हिस्टामाइन वाली कोई भी दवाई ।
  • एंटी-आईजीई मोनोक्लोनल एंटीबॉडी या अस्थमा उपचार की दवाइयां (omalizumab )।
  • ट्राईसाइक्लिक एंटीडिप्रेसेंट्स दवाई जैसे कि एमिट्रिप्टिलाइन (amitriptylin)।
  • बेंज़ोडायजेपाइन दवाई जैसे कि डायजेपाम (diazepam)।
एलर्जी के लिए मुख्य रूप से स्किन टेस्ट और ब्लड टेस्ट किये जाते है -

स्किन एलर्जी टेस्ट (Skin test for allergy)

स्किन एलर्जी टेस्ट का उपयोग एयरबोर्न फ़ूड-रिलेटेड और कांटेक्ट एलर्जन्स से होने वाली एलर्जी के लिए किया जाता है। इस एलर्जी टेस्ट में आपको जिन एलर्जन से एलर्जी हो सकती है उनको आपकी स्किन के कॉन्टेक्ट में लाया जाता है। इसके बाद जो एलर्जिक रिएक्शन होती है उसको ओब्ज़र्ब किया जाता है। स्किन एलर्जी टेस्ट निम्न तीन टाइप से किया जाता है -
  • स्किन प्रिक टेस्ट (Skin prick test)
  • पैच टेस्ट (Patch test)
  • स्किन इंजेक्शन टेस्ट (Skin injection test)

स्किन प्रिक टेस्ट (Skin prick test)

स्किन प्रिक टेस्ट में 50 से ज्यादा एलर्जन का उपयोग करके टेस्ट किया जाता है। सामान्य रूप से यह टेस्ट पराग कण, मोल्ड, पालतू जानवरों की रूसी धूल के कण और खाद्य पदार्थों से होने वाली अलग अलग टाइप की एलर्जी का पता लगाने के लिए किया जाता है स्किन एलर्जी टेस्ट के लिए एलर्जन लिक्विड को उपयोग किया जाता है जिनसे एलर्जी होती है ।
स्किन प्रिक टेस्ट (Skin prick test) स्किन प्रिक टेस्ट में 50 से ज्यादा एलर्जन का उपयोग करके टेस्ट किया जाता है सामान्य रूप से यह टेस्ट पराग कण, मोल्ड, पालतू जानवरों की रूसी धूल के कण और खाद्य पदार्थों से होने वाली अलग अलग टाइप की एलर्जी का पता लगाने के लिए किया जाता है स्किन एलर्जी टेस्ट के लिए एलर्जन लिक्विड को उपयोग किया जाता है जिनसे एलर्जी होती है ।
Skin prick Test Image

 वयस्क व्यक्तियों में या टेस्ट फोरआर्म या भुजा पर किया जाता है और बच्चो में यह टेस्ट पीठ पर करते है। यह टेस्ट करने के लिए सबसे पहले स्किन पर निशान बना देते है जहाँ पर एलर्जन लगाने होते है और फिर स्किन को अच्छी तरह से साफ़ से साफ किया जाता है।
 उसके बाद एक लैंसेट की मदद से अलग अलग एलर्जन के जो ल्क्विड होते है उन्हें एक एक करके स्किन में प्रिक करते है। इन लैंसेट का उपयोग करने पर कोई दर्द नहीं होता क्युकी इसको इसी प्रकार से बनाया जाता है। जितने एलर्जन के लिक्विड होते है उतने ही निशान बनाकर हर जगह एलर्जन की एक एक ड्राप लगाई जाती है। प्रत्येक एलर्जेन के लिए एक नया लैंसेट का उपयोग किया जाता है।
 सभी एलर्जन स्किन में प्रिक करने के 15 मिनट बाद हर निशान पर लगाए गए एलर्जन को ओब्ज़र्ब किया जाता है। लगभग 30 मिनट में इस टेस्ट के रिजल्ट आ जाते है। अगर आपको किसी भी एलर्जन से एलर्जी होगी तो उस एलर्जन का प्रिक या निशान मच्छर के काटने की तरह फूल जाता है।
स्किन पर बने इन मच्छर के काटने जैसे निशानों की साइज को मापा जाता है। निशान के साइज और उसके बनने में लगे समय के हिसाब से यह पता लगते है की आपको उस एलर्जन कितनी और किस प्रकार की एलर्जी है।

पैच टेस्ट (Patch test)

पैच टेस्ट का उपयोग किसी विशेष टाइप के एलर्जन को डिक्टेट करने के लिए किया जाता है जिससे की एलर्जिक स्किन इंफ्लामेशन होता है। इस टेस्ट के द्वारा उन एलर्जन का पता लगाया जा सकता है जिनकी एलर्जिक रिएक्शन काफी टाइम दिखाई देती है। पैच टेस्ट के लिए सुइयों की जरुरत नहीं होती है इसके लिए पैच या पट्टियों का यूज़ किया जाता है।
पैच टेस्ट (Patch test) पैच टेस्ट का उपयोग किसी विशेष टाइप के एलर्जन को डिक्टेट करने के लिए किया जाता है जिससे की एलर्जिक स्किन इंफ्लामेशन होता है इस टेस्ट के द्वारा उन एलर्जन का पता लगाया जा सकता है जिनकी एलर्जिक रिएक्शन काफी टाइम दिखाई देती है पैच टेस्ट के लिए सुइयों की जरुरत नहीं होती है इसके लिए पैच या पट्टियों का यूज़ किया जाता है
Patch Test Image

 एक पैच टेस्ट के लिए 20 से 30 एक्सट्रेक्ट सब्स्टेंस का यूज़ किया जाता है जिनकी वजह से स्किन इंफ्लामैशन होता है। इन सब्स्टेंस में लेटेक्स दवाएं परफ्यूम संरक्षक हेयर डाई मेटल्स और रेजिन ये सब होते है। इस टेस्ट को करने के लिए इन एक्सट्रेक्ट सब्स्टेंस से बनी पैच या स्ट्रिप्स को हमारी पीठ पर या हाथ पर लगा दिया जाता है और 48 घंटे के इन्हे ऐसा ही छोड़ दिया जाता है।
 इन 48 घंटो तक हमें इन स्ट्रिप्स को पानी और गंदगी से बचना रहता है जिससे की रिजल्ट सही आये। लगभग 48 घंटो के पैच टेस्ट का रिजल्ट नोट किया जाता है और एलर्जी को डिटेक्ट किया जाता है। आपको जिस भी सब्स्टेंस या एलर्जन से एलर्जी होगी उसकी जगह सूजन आ जाएगी और लाल निशान बन जाते है। 

स्किन इंजेक्शन टेस्ट (Skin injection test)

स्किन इंजेक्शन टेस्ट (Skin injection test)
Skin injection Test Image

यह बहुत सिंपल एलर्जी टेस्ट होता है इसके लिए छोटे साइज की सिरिंग का यूज़ किया जाता है। इस टेस्ट लिए आपके डॉक्टर एलर्जन थोड़ी सी मात्रा को आपकी स्किन में इंजेक्ट करते है इसके बाद लगभग 15 मिनट के बाद एलर्जिक रिएक्शन को ओब्ज़र्ब किया जाता है। 

एलर्जी के लिए ब्लड टेस्ट  (Blood test for allergy)

एलर्जी के लिए ब्लड टेस्ट भी किये जाते है जिसमे यह डिटेक्ट किया जाता है की हमारी बॉडी में किस एलर्जन से एलर्जी है और कितनी मात्रा में एंटीबाडीज बन रही है। बहुत से ऐसे एलर्जन होते है जिनको स्किन टेस्ट की द्वारा डिटेक्ट नहीं किया जा सकता इसीलिए ब्लड टेस्ट की जरुरत होती है। 

आईजीई ब्लड टेस्ट (IgE blood test)

आईजीई एक टाइप की एंटीबाडी या इम्मुनोग्लोबुलिन होती है जो बहुत ही काम मात्रा में हमारी बॉडी में पायी जाती है। लेकिन एलर्जी की दौरान आई जी ई की मात्रा बहुत अधिक हो जाती है। ये एंटीबाडीज हमारे इम्यून सिस्टम का एक इम्पोर्टेन्ट हिस्सा होती है क्योंकि यह एंटीबाडीज बाहरी हानिकारक सब्स्टेंस से हमारी रक्षा करती है। डॉक्टर यह तब करते है जब आपको निम्नलिखित लक्षणों में से कुछ लक्षण हो -
  • हाइव्स (hives)
  • डर्मेटाइटिस (dermatitis)
  • एक्जिमा (Eczema)
  • खांसी और नेजल कंजेशन (cough and nasal congestion)
  • अस्थमा (asthma)
  • साँस लेने में परेशानी (breathing problem)
  • गले में दर्द और जलन (throat pain)
  • पेट में दर्द या उल्टी और दस्त (Abdominal pain and vomiting)
  • आँखों का लाल होना (red eye)
इस टेस्ट के लिए हमारी बॉडी से 3 से 5 ml ब्लड कलेक्ट किया जाता है और उस ब्लड में आई जी ई की मात्रा को डिटेक्ट किया जाता है आई जी ई की सामान्य वैल्यू 150 से 300 UI/ML तक होती है। 
अगर आपको एलर्जी है आपका आई जी ई रिजल्ट 300 से ज्यादा आएगा। किसी की आइजीए की वैल्यू या रिजल्ट 300 UI/ML से कम आता है तो इसका मतलब यह होता है की उस व्यक्ति को एलर्जी नहीं है। 

एलर्जी कम्प्रेहेन्सिव पैनल टेस्ट  (Allergy comprehensive panel test)

यह एलर्जी को डिटेक्ट करने के लिए बहुत ही अच्छा ब्लड टेस्ट होता है जिसके द्वारा लगभग बहुत टाइप की एलर्जी का पता लगाया जा सकता है इस टेस्ट के लिए लगभग 10 ml ब्लड की जरूरत होती है। इस एलर्जी पैनल के अंतर्गत आठ अलग अलग एलर्जी पैनल आते है जैसेकि-
  • फ़ूड पैनल वेजिटेरिअन(food panel vegitarian)
  • फ़ूड पैनल नॉन वेजिटेरिअन(food panel non-vegitarian)
  • मोल्ड पैनल(mold panel)
  • इन्सेक्ट पैनल(insect panel) 
  • इनहेलैंट पैनल(inhalant panel)
  • एनिमल पैनल(animal panel)
  • ग्रास पैनल(grass panel) 
 इस टेस्ट में आपको जिस भी एलर्जन से एलर्जी होती वह डिटेक्ट हो जाता है और उसका रिजल्ट पॉजिटिव आता है।

एलर्जी क्या और कैसे होती है पोस्ट का सारांश 

इस पोस्ट हमने जाना की एलर्जी क्या होती है कैसे होती है , एलर्जी के कितने टाइप होते है किन किन चीज़ो से एलर्जी हो सकती है , एलर्जी से कैसे बचा जा सकता है साथ ही यह भी जाना की एलर्जी के लिए कितने टेस्ट होते है जिनके द्वारा एलर्जी को डिटेक्ट किया जा सकता है।
 आशा करता हु की आपको यह पोस्ट पसंद आयी होगी अगर इस से सम्बंधित कोई feedback या suggestion हो तो comment करके जरूर बताएं।
 धन्यवाद 










Jeetendra Royal

hi, my name is Jeetendra Royal and I am a researcher. I am discovering scientific things and facts, explain natural phenomena and explore that in a simple way. There I will share Every science topic like Anatomy, Biochemistry, Cytology, Microbiology, etc.

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